Vaidya Somraj Kharche, M.D. Ph.D. (Ayu) 06 Jun 2017 Views : 1322
Vaidya Somraj Kharche, M.D. Ph.D. (Ayu)
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जीर्णे अश्नीयात -

आयुर्वेदीय आहारविधी का चौथा नियम है - जीर्णे अश्नीयात। अर्थात पहले सेवन किये हुए आहार का जब पूर्णरूप से पाचन हो जाये तभी पुनः भोजन करना चाहिए। मतलब भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए। आहारकाल यह भोजनविधी का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। शरीर को स्वस्थ बनाए रखनेवाले अनेक कारणों मे से भोजनकाल एक है। नियत समय पर भोजन करने से अन्नपचन निर्विघ्न होता है। रसादि धातुओंकी निर्मिती एवं पोषण व्यवस्थित होता है। परंतु आजकल यह स्थिती देखी नही जाती। एक बार खाना खाने के तुरंत बाद भी अगर आप किसी को उसका पसंदीदा खाना दो, तो वो बिना सोचे समझे खा लेता है। यह तो जानवरों से भी बदतर स्थिती हुई। क्यूँ की जानवर भी बिना भूख के अन्नग्रहण नहीं करते। कई बार डिस्कवरी चैनल पर भी यह बात दर्शायी गई है कि शेर या बाघ पेट भरा होने के बाद सामने शिकार हो, शिकार आसान हो तो भी शिकार नही करते। परंतु मनुष्य विश्व मे सर्वश्रेष्ठ होने का दावा करने के बावजूद भी निम्नस्तर की हरकतें करता है।

अन्नसेवन करने के बाद उसे पचाने के लिए पाचनतंत्र को साधारणतः 3 घण्टे लगते है। इसका अर्थ साफ है कि अन्नग्रहण के बाद पाचन की प्रक्रिया शुरू होने के 3 घंटे बाद तक कुछ भी खाना नही चाहिए। इसे समझने के लिए हमे पाचनक्रिया को संक्षिप्तरूप मे समझना पड़ेगा।

भोजन के बाद सेवन किये हुए अन्न का प्रकार, स्वरूप, उसकी मात्रा, उसके साथ लिए गए जल का अनुपात इस सबका गणित करने के बाद पाचनतंत्र ब्रेन को क्या क्या ग्रहण किया गया है इसका ब्यौरा देता है। फिर ब्रेन इस जानकारी का आँकलन करके सेवित अन्न को पचाने के लिए कितने पाचकद्रव्यों (enzymes) की कितनी मात्रा में जरूरत है यह तय करता है और इसके बाद ही निर्धारित मात्रा में पाचकद्रव्यों का स्त्रवण (Secretions) शुरू होता है एवं पश्चात अन्न का पाचन शुरू होता है, जो साधारणतः 3 घंटे तक चलता है। अब यह 3 घंटे पूरे होने के पहले ही अगर कुछ फिर से खाया जाता है (जैसा कि कुछ लोग जिह्वालौल्यवश करते ही है) तो यही प्रक्रिया ब्रेन और पाचनतंत्र को फिर से दोहरानी पड़ती है। ऐसी स्थिती अगर पुनः पुनः उपस्थित होती रही तो ब्रेन और पाचनतंत्र भ्रमित हो जाता है, क्यूँ की उनका उपरोक्त हिसाब किताब पूरा गड़बड़ा जाता है।

एक उदाहरण से इसे समझते है। समझो आपको आपके बॉस ने कुछ फाइल्स देके डेटा एंट्री करने का काम दिया, जो कि आपको 3 घंटे में पूरा करना है। आप काम शुरू करते हो, थोड़ा पूरा करते ही हो तब तक ऑफिस का सिपाही बॉस ने भेजी एक और फ़ाइल आपके पास लाकर देता है। तो वही काम आपको नये सिरे से शुरू करना पड़ता है। आप फिर से काम मे जुट जाते हो। सिपाही फिर एक नया फ़ाइल लेके आता है। चूँकि बॉस ने भेजा है इसीलिए आप चुपचाप रख लेते हो पर मन ही मन आप गुस्सा भी हो जाते हो। अगर यही सिलसिला चालू रहा तो आपका काम भी नियत समय मे पूरा नही हो पाएगा। आपको हर वक्त काम नए सिरे से शुरू करना पड़ेगा इसीलिये आपको गुस्सा भी बहोत आएगा जो आप ऑफिस से घर पे आने के बाद अपने ही परिवार पे निकालोगे। बिलकुल यही हाल हमारे पाचनतंत्र का भी होता है। पाचनतंत्र भी इसी तरह से हमपे ही गुस्सा निकालता है जिसे मेडिकल साइंस की भाषा मे Autoimmune Disorders of GIT के नाम से जाना जाता है। Autoimmune hepatitis, Cryptogenic Cirrhosis, Ulcerative Colitis, Pancreatitis जैसे व्याधी इन्ही आदतों के परिणाम है। व्याधी बहोत बड़े बड़े है पर कारण अत्यंत छोटा है, जो आधुनिक डॉक्टरों के समझ मे नही आता। उनकी विशालकाय मशीनें भी आजतक ऐसे कारणों को ढूँढ नही पाई है।

अतःएव समझदारी इसी में है की एक बार भोजन समाप्त होने के बाद पाचन पूरा होने तक कुछ भी नही खाये|


© श्री स्वामी समर्थ आयुर्वेद सेवा प्रतिष्ठान, खामगाव 444303, महाराष्ट्र